“True meaning of friendship” मेरे मोबाइल फ़ोन पर यह संदेश कुछ घंटे पहले एस.एम.एस. के ज़रिए आया। “मित्रता के सच्चे अर्थ” के नाम पर इस संदेश में अंग्रेज़ी के F, R, I, E, N, D, S, H, I, P अक्षरों से शुरु होने वाले कुछ अच्छे धनात्मक शब्द दिए गए थे –जैसे कि FRIENDSHIP अपने आप में कोई शब्द ना होकर कई शब्दों का एक छोटा रूप हो! मुझे विश्वास है कि भेजने वाले ने यही संदेश दस-बीस (या सौ-पचास) अन्य लोगों को भी भेजा होगा। इसके अलावा यह भी तय है कि “सच्चा अर्थ” बताती मित्रता की यह व्याख्या भेजने वाले के खुद के दिमाग की उपज नहीं है। बहुत हद तक संभव है कि मूल रूप से इस संदेश को मोबाइल कम्पनी से तनख्वाह पाने वाले किसी व्यक्ति ने लिखा हो।
इस तरह के संदेशों को लिखे जाने के पीछे मोबाइल कम्पनियों की मंशा अपनी आय को बढ़ाने की होती है। वे जानते हैं कि लोग दोस्ती के इन “सच्चे अर्थों” को ज़रूर एक-दूसरे को भेजेंगे और इससे कम्पनी की आय बढ़ेगी। आज के समय में हम बाज़ार से इतने अधिक प्रभावित हो चुके हैं कि जीवन की कुछ मूलभूत भावनाओं को हम भुला ही चुके हैं। आजकल लोग अपनी मित्रता की घोषणा केवल 140 अक्षरों के एक चेन-मैसेज के ज़रिए करते हैं। समय आने पर मित्र की तन-मन-धन से मदद आजकल कितने लोग करते हैं? क्या हम वास्तव में मित्रता का सही अर्थ जानते हैं?
कुछ दिन पहले मुझे क्रिश्चियन द लॉयन की अदभुत कहानी के बारे में मालूम पड़ा। क्रिश्चियन एक बब्बर शेर था जिसका जन्म इंग्लैड के इल्फ़्राकॉम्ब क्षेत्र में बने एक चिड़ियाघर में पिंजरे के भीतर हुआ था।क्रिश्चियन उस समय बच्चा ही था जब उसे लंदन के प्रतीक हैरोड्स सुपरस्टोर ने खरीद लिया। सुपरस्टोर ने शेर के बच्चे पर “बिकाऊ है” का बोर्ड लगाकर उसे अपनी आलीशान दुकान में रख लिया। कुछ ही दिन बाद सुपरस्टोर से क्रिश्चियन को जॉन रेंडल और एंथनी बोर्क नाम के दो मित्रों ने करीब 260 ब्रिटिश पाउंड चुका कर खरीद लिया।
रेंडल और बोर्क ने लंदन में अपने घर के भीतर इस शेर को पालना शुरु किया। शीघ्र ही शेर इतना बड़ा हो गया कि अब उसे घर में नहीं रखा जा सकता था। सो, रेंडल और बोर्क ने उसे अपने फ़र्नीचर स्टोर के तहखाने में रखना शुरु किया। इन दोनों ने एक स्थानीय चर्च के अधिकारियों से क्रिश्चियन को चर्च के पिछवाड़े बने एक पार्क में व्यायाम कराने की अनुमति भी ले ली।
एक जानवर होने के बावज़ूद क्रिश्चियन ने रेंडल और बोर्क से अच्छी मित्रता गांठ ली थी। मित्रता के बंधन ने इन तीनों को हमेशा के लिए बांध लिया था। लेकिन जैसे-जैसे क्रिश्चियन वयस्क होने लगा यह बात साफ़ हो गई कि अब उसे शहर में मनुष्यों के बीच नहीं रखा जा सकता था। एक वयस्क बब्बर शेर को पालने का खर्च भी अब रेंडल और बोर्क नहीं उठा पा रहे थे। आखिरकार उन्हें यह अति-कठिन और दुखभरा निर्णय लेना पड़ा कि क्रिश्चियन को केन्या के कोरा नेशनल पार्क में छोड़ दिया जाए। हालांकि रेंडल और बोर्क के लिए यह निर्णय बेहद कठिन था लेकिन उनके पास इसके अलवा और कोई चारा नहीं था। उन्होनें क्रिश्चियन को जंगल में छोड़ने के लिए जॉर्ज एडमसन नामक एक केन्याई वन्य संरक्षणकर्ता से मदद ली।
जंगल में आने के बाद धीरे-धीरे क्रिश्चियन ने सफलतापूर्वक जंगल में रहना सीख लिया। एडमसन ने क्रिश्चियन की शेरों के एक झुंड से पहचान करवा दी और फिर क्रिश्चियन उसी झुंड के साथ रहने लगा। इस झुंड का नेतृत्व बॉय नामक एक शेर करता था। दिन और महीने बीतते रहे। शेरों के इस झुंड पर कई हमले हुए और झुंड को दो शेरनियों से हाथ धोना पड़ा। बॉय भी इन हमलों में बुरी तरह घायल हो गया था। आखिरकार एडमसन ने बॉय को मजबूरन तब गोली मार दी जब बॉय ने एडमसन के एक साथी पर हमला कर दिया था।
बॉय की मृत्यु के बाद क्रिश्चियन ने झुंड की बागडोर संभाल ली। उसने मोना और लीसा नामक दो शेरनियों को अपनी सहवासिनी बना भी लिया। अब क्रिश्चियन जंगल का राजा था जिसके आजू-बाजू दो रानियाँ शान से चला करती थीं!
सन 1971 में रेंडल और बोर्क ने निर्णय किया कि वे जंगल में जाकर अपने पुराने मित्र क्रिश्चियन से मिलेंगे। एडमसन ने उन्हें चेतावनी दी कि हो सकता है क्रिश्चियन उन्हें भूल गया हो। ऐसा होने पर क्रिश्चियन उन पर हमला भी कर सकता है क्योंकि अब क्रिश्चियन पूरी तरह से एक जंगली शेर बन चुका था। इस चेतावनी के बावज़ूद रेंडल और बोर्क ने एक कोशिश करके देखने की ठान ली। वे दोनों क्रिश्चियन से मिलने केन्या गए और मित्रों के इस पुनर्मिलन को एक डॉक्यूमेंट्री के रूप में फ़िल्माया गया। आइये देखते हैं इस फ़िल्म के कुछ अंश:
डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म में दिखाई देता है कि रेंडल और बोर्क एक चट्टानी इलाके में खड़े हुए हैं और एडमसन क्रिश्चियन को उनके पास ला रहे हैं। शेर पहले तो धीरे-धीरे आगे कदम बढ़ाता है जैसे कि रेंडल और बोर्क को पहचानने की कोशिश कर रहा हो। जंगल ने क्रिश्चियन को बहुत-सी चीज़े सिखा दी थीं; जिनमें सावधानी सर्वोपरी थी। लेकिन जैसे ही क्रिश्चियन को विश्वास हो गया कि वे दो मनुष्य रेंडल और बोर्क ही थे –वह जंगली शेर उनकी ओर दौड़ा और खिलवाड़ करते हुए उन पर कूद पड़ा। एक वर्ष से अधिक समय तक जंगल में रहने के बाद भी क्रिश्चियन अपने मित्रों को नहीं भूला था। क्रिश्चियन अब एक खूंखार, जंगली, शिकारी और बेहद ताकतवर वयस्क बब्बर शेर में बदल चुका था। एक वर्ष से वह जानवरों को मार रहा था और उनके चिथड़े-चिथड़े कर रहा था; लेकिन वही भयानक शेर रेंडल और बोर्क के साथ एक छोटी-सी प्यारी-सी बिल्ली की तरह पेश आ रहा था।
क्रिश्चियन ने अपने मनुष्य मित्रों को अपनी शेरनियों मोना और लीसा से भी मिलवाया। दोनों शेरनियां और उनके संरक्षण में रह रहे “सुपरकब” नामक बच्चे ने भी रेंडल और बोर्क को अपना लिया। मित्रों के इस मिलन में कोई हिचक नहीं थी, कोई डर नहीं था और रेंडल व बोर्क के लिए खतरे की लेशमात्र परछाईं तक नहीं थी। रेंडल व बोर्क क्रिश्चियन और उसके परिवार के साथ अगली सुबह तक रहे।
1972 में रेंडल और बोर्क एक बार फिर क्रिश्चियन से मिलने गए। यही वह समय था जब क्रिश्चियन को आखिरी बार देखा गया था। इसके बाद वह जंगल में गायब हो गया और फिर कभी भी किसी को क्रिश्चियन दोबारा नहीं दिखा। शायद उसे ताकत के आधार पर चलने वाले जंगलराज ने खा लिया था।
जानवर भी मित्रता का महत्त्व समझते हैं। वे इसका सम्मान भी करते हैं (वरना क्रिश्चियन के लिए दो पतले-दुबले मनुष्यों को चीर कर रख देना कोई बड़ी बात नहीं थी!)
क्या हम मनुष्य भी मित्रता को और इसके मूल्य को समझते हैं? क्या हम मनुष्य मित्रता का सम्मान करना जानते हैं? क्या हम मनुष्य मित्रता का सच्चा अर्थ जानते हैं?
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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती| कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।