कंप्यूटर नेटवर्क की परिभाषा कंप्यूटर नेटवर्क दो या दो से अधिक कंप्यूटर के बीच एक ऐसा एडजेस्टमेंट (सामंजस्य) होता है जिसके द्वारा वे आपस में डाटा व इन्फार्मेसन का आदान प्रदान करते हैं l
कंप्यूटर नेटवर्किंग की परिभाषा : - कंप्यूटर नेटवर्किंग एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा हम दो या दो से अधिक कंप्यूटर को आपस में कनेक्ट करते हैं ताकि हम उनके बीच डाटा तथा इन्फार्मेसन का आदान प्रदान कर सकें I कंप्यूटर नेटवर्क को हम दूरी के आधार पर हम मुख्य तीन प्रकारों में बाँट सकते हैं -
१- लैन
२- मैन
३- वैन
लैन (लोकल एरिया नेटवर्क)- - लैन एक ऐसा नेटवर्क होता है जो कम दूरी में फैला हुआ होता है जैसे किसी घर में रखे दो कंप्यूटर के बीच का नेटवर्क ,किसी ऑफिस के कुछ कंप्यूटर का नेटवर्क या किसी बिल्डिंग में फैला हुआ नेटवर्क l इसकी दूरी को ० से १० किमी तक माना जा सकता है लेकिन यह फिक्स नहीं है कुछ कम या अधिक हो सकती है
मैन (मेट्रो पोलीटिन एरिया नेटवर्क )- मैन एक ऐसा नेटवर्क होता है जो दो या दो से शहरों के बीच फैला हुआ हो सकता है l यह लैन से बड़ा होता है इसकी दूरी १ से १०० किमी तक मानी जाती है लेकिन यदि हम प्रायोगिक तौर पर देखें तो मैन का प्रयोग नहीं होता है l केवल लैन और वैन का ही प्रयोग होता है लैन को बड़ा करने पर वह वैन बन जाता है l
वैन (वाइड एरिया नेटवर्क )- वैन नेटवर्क ऐसा नेटवर्क होता है जिसकी कोई सीमा निश्चित नहीं होती है यह दो या दो से अधिक देशो के बीच फैला हुआ हो सकता है l इसका सबसे बड़ा उदाहरण इन्टरनेट है.इस प्रकार के नेटवर्क का प्रयोग बड़ी कंपनी के द्वारा किया जाता है l
एक कंप्यूटर नेटवर्क के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं एक कंप्यूटर नेटवर्क बनाने के लिए निम्न आवश्यकतायें होती हैं
१- कम से कम दो कंप्यूटर जिनमे ऑपरेटिंग सिस्टम हो (नेटवर्किंग को सपोर्ट करने वाला)
.२- ट्रांसमिशन मिडिया (वायर्ड या वायरलेस)
३- प्रोटोकाल
प्रोटोकॉल (Protocol) प्रोटोकॉल ऐसे नियमो का समूह होता है l जिसके द्वारा यह निर्धारित होता है कि किस प्रकार एक डिवाइस या कंप्यूटर का डाटा व इन्फार्मेसन दुसरे डिवाइस या कंप्यूटर में ट्रांसमिट हो l हम यह भी कह सकते है कि प्रोटोकॉल दो कंप्यूटर के बीच एक भाषा कि तरह कार्य करता है और एक कंप्यूटर के डाटा व सिग्नल्स को दुसरे कंप्यूटर को समझाता है कुछ प्रोटोकॉल निम्नलिखित हैं l
१- ऍफ़ टी पी (फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
२- एस एम टी पी (सिम्पल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
३- एच टी टी पी (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
४- टी सी पी (ट्रांसमिसन कण्ट्रोल प्रोटोकॉल )
५- आइ पी (इन्टरनेट प्रोटोकॉल ) आदि l
नेटवर्क सर्विस (network service) नेटवर्क सर्विस कंप्यूटर हार्डवेयर तथा कंप्यूटर साफ्टवेयर की एक मिलीजुली योग्यता होती है l जिसे वे नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर के साथ बाँट सकते हैं l इसके कारण ही नेटवर्किंग में विभिन्न प्रकार के कार्य संभव हो पाते हैं l नेटवर्क के कंप्यूटर सर्विस लेते भी हैं और सर्विस देते भी हैं l इस आधार पर नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर को दो भागों में बांटा जाता है
- १- सर्विस प्रोवाइडर
२- सर्विस रिकुएस्टर
सर्विस प्रोवाइडर -
सर्विस प्रोवाइडर वे कंप्यूटर होते है जो नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर को अपनी विभिन्न सर्विसेस प्रदान करते हैं l इसे हम सर्वर भी कहते हैं l
सर्विस रिकुएस्टर- सर्विस रिकुएस्टर वे कंप्यूटर होते है l जो नेटवर्क में उपस्थित किसी और कंप्यूटर से विभिन्न प्रकार की सर्विसेस लेते हैं l इसे हम क्लाइंट भी कहते हैं l
नेटवर्क सर्विस के प्रकार ( types of network services) नेटवर्क में कंप्यूटर के विभिन्न रिसोर्सेस जैसे हार्ड-डिस्क ,सीडी-ड्राइव,प्रिंटर आदि को शेयर करने के लिए नेटवर्क सर्विस ही जिम्मेदार होतीं हैं
नेटवर्क में प्रयोग होने वाली प्रमुख सर्विसेस निम्न हैं-
१- फाइल सर्विस
२- प्रिंट सर्विस
३- मेसेज सर्विस
४- डाटाबेस सर्विस
५- एप्लीकेशन सर्विस
फाइल सर्विस- नेटवर्क में किसी फाइल को एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर पर ट्रान्सफर ,मूव या कॉपी करने के लिए फाइल सर्विस प्रयोग में आती है l फाइल सर्विस ही नेटवर्क में बैकप की सुविधा प्रदान करती है l फाइल सर्विस स्टोरेज डिवाइस को प्रभावी तरीके से प्रयोग करती है l
प्रिंट सर्विस- प्रिंट सर्विस का कार्य नेटवर्क में किसी एक कंप्यूटर पर लगे प्रिंटर को नेटवर्क के अन्य कंप्यूटर के लिए उपलब्ध करवाना होता है l अर्थात प्रिंट सर्विस के कारण ही एक प्रिंटर का प्रयोग नेटवर्क के सभी यूजर कर पाते हैं l प्रिंट सर्विस का कार्य नेटवर्क में प्रिंटर की संख्या को कम करना होता है l इस सर्विस के कारण ही नेटवर्क में प्रिंटर को कहीं भी इस्थापित किया जा सकता है l इसकी वजह से ही प्रिंट जोब्स एक पंक्ति में रहते हैं l इसके द्वारा ही प्रिंटर को नेटवर्क में एक्सेस कण्ट्रोल व मैनेज किया जा सकता है l
मेसेज सर्विस- जैसा की हम नाम से ही समझ सकते है l की मेसेज सर्विस का कार्य एक कंप्यूटर का मेसेज दूसरे कंप्यूटर तक पहुचना होता है l इसके साथ साथ हम डाटा ऑडियो विडियो टेक्स्ट आदि भी भेज सकते हैं l एक प्रकार से मेसेज सर्विस फाइल सर्विस की तरह ही कार्य करती है l लेकिन यह डाइरेक्ट कंप्यूटर के बीच कार्य न करके यूजर अप्लिकेसन के बीच कार्य करती है l इ-मेल व वोइस-मेल इसके ही उदहारण हैं l
डाटाबेस सर्विस- यह सर्विस नेटवर्क में सर्वर आधारित डाटाबेस की सुविधा प्रदान करती है l अर्थात नेटवर्क में जब कोई क्लाइंट रिक्वेस्ट करता है तो उसे आवश्यक जानकारी डाटाबेस सर्वर के द्वारा प्रदान कर दी जाती है l यह सर्विस डाटा सिक्योरिटी प्रदान करती है l और इसके कारण ही डाटाबेस की लोकेसन केन्द्रित हो पति है l
एप्लीकेशन सर्विस- नेटवर्क में वे सर्विस जो नेटवर्क क्लाइंट के लिए सोफ्टवेयर चलाती हैं l एप्लीकेशन सर्विस कहलाती हैं l यह सर्विस केवल डाटा ही नहीं शेयर करती बल्कि उनकी प्रोसस्सिंग पॉवर भी शेयर करने की अनुमति प्रदान करती है l इसका सबसे अच्छा उदाहरण लैन गेमिंग है l जिसमे एक गेम को कई यूजर एक साथ खेलते हैं l
सर्विस के आधार पर नेटवर्क के प्रकार (types of network according to service)
सर्विस के आधार पर नेटवर्क दो प्रकार के होते हैं -
१- पीयर टू पीयर
२- सर्वर सेंट्रिक
पीयर टू पीयर- पीयर टू पीयर नेटवर्क एक ऐसा नेटवर्क होता है जिसमे निश्चित रूप से न तो कोई कंप्यूटर सर्वर होता है और न ही कोई कंप्यूटर क्लाइंट लेकिन आवश्यकता के अनुसार कोई भी कंप्यूटर सर्वर भी बन सकता है और कोई भी कंप्यूटर क्लाइंट l इसे समझने के लिए हमें सर्वर क्लाइंट और पीयर को भी समझना पड़ेगा -
सर्वर(server)- सर्वर उस कंप्यूटर को कहा जाता है जो नेटवर्क में अन्य कंप्यूटर को कोई डाटा इन्फार्मेसन या सर्विस प्रदान करता है l
क्लाइंट (client)- क्लाइंट वह कंप्यूटर होता है जो सर्वर कंप्यूटर द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का प्रयोग करता है l
पीयर(peer)- पीयर वह कंप्यूटर होता है न तो सर्वर होता है और न क्लाइंट पर जरुरत के समय यह सर्वर की तरह भी कार्य कर सकता है और क्लाइंट की तरह भी l
सर्वर सेंट्रिक- सर्वर सेंट्रिक नेटवर्क वह नेटवर्क होता है जिसमे एक सर्वर होता है और बाकि कंप्यूटर उसके क्लाइंट होते हैं सर्वर द्वारा कई प्रकार के सेवाएँ क्लाइंट कंप्यूटर को दी जाती हैं जैसे फाइल सेवा,प्रिंट सेवा,इन्टरनेट सेवा आदि और सर्वर सिस्टम क्लाइंट सिस्टम को कण्ट्रोल और मैनेज भी करता है l
कंप्यूटर नेटवर्किंग की परिभाषा : - कंप्यूटर नेटवर्किंग एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा हम दो या दो से अधिक कंप्यूटर को आपस में कनेक्ट करते हैं ताकि हम उनके बीच डाटा तथा इन्फार्मेसन का आदान प्रदान कर सकें I कंप्यूटर नेटवर्क को हम दूरी के आधार पर हम मुख्य तीन प्रकारों में बाँट सकते हैं -
१- लैन
२- मैन
३- वैन
लैन (लोकल एरिया नेटवर्क)- - लैन एक ऐसा नेटवर्क होता है जो कम दूरी में फैला हुआ होता है जैसे किसी घर में रखे दो कंप्यूटर के बीच का नेटवर्क ,किसी ऑफिस के कुछ कंप्यूटर का नेटवर्क या किसी बिल्डिंग में फैला हुआ नेटवर्क l इसकी दूरी को ० से १० किमी तक माना जा सकता है लेकिन यह फिक्स नहीं है कुछ कम या अधिक हो सकती है
मैन (मेट्रो पोलीटिन एरिया नेटवर्क )- मैन एक ऐसा नेटवर्क होता है जो दो या दो से शहरों के बीच फैला हुआ हो सकता है l यह लैन से बड़ा होता है इसकी दूरी १ से १०० किमी तक मानी जाती है लेकिन यदि हम प्रायोगिक तौर पर देखें तो मैन का प्रयोग नहीं होता है l केवल लैन और वैन का ही प्रयोग होता है लैन को बड़ा करने पर वह वैन बन जाता है l
वैन (वाइड एरिया नेटवर्क )- वैन नेटवर्क ऐसा नेटवर्क होता है जिसकी कोई सीमा निश्चित नहीं होती है यह दो या दो से अधिक देशो के बीच फैला हुआ हो सकता है l इसका सबसे बड़ा उदाहरण इन्टरनेट है.इस प्रकार के नेटवर्क का प्रयोग बड़ी कंपनी के द्वारा किया जाता है l
एक कंप्यूटर नेटवर्क के लिए न्यूनतम आवश्यकताएं एक कंप्यूटर नेटवर्क बनाने के लिए निम्न आवश्यकतायें होती हैं
१- कम से कम दो कंप्यूटर जिनमे ऑपरेटिंग सिस्टम हो (नेटवर्किंग को सपोर्ट करने वाला)
.२- ट्रांसमिशन मिडिया (वायर्ड या वायरलेस)
३- प्रोटोकाल
प्रोटोकॉल (Protocol) प्रोटोकॉल ऐसे नियमो का समूह होता है l जिसके द्वारा यह निर्धारित होता है कि किस प्रकार एक डिवाइस या कंप्यूटर का डाटा व इन्फार्मेसन दुसरे डिवाइस या कंप्यूटर में ट्रांसमिट हो l हम यह भी कह सकते है कि प्रोटोकॉल दो कंप्यूटर के बीच एक भाषा कि तरह कार्य करता है और एक कंप्यूटर के डाटा व सिग्नल्स को दुसरे कंप्यूटर को समझाता है कुछ प्रोटोकॉल निम्नलिखित हैं l
१- ऍफ़ टी पी (फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
२- एस एम टी पी (सिम्पल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
३- एच टी टी पी (हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल )
४- टी सी पी (ट्रांसमिसन कण्ट्रोल प्रोटोकॉल )
५- आइ पी (इन्टरनेट प्रोटोकॉल ) आदि l
नेटवर्क सर्विस (network service) नेटवर्क सर्विस कंप्यूटर हार्डवेयर तथा कंप्यूटर साफ्टवेयर की एक मिलीजुली योग्यता होती है l जिसे वे नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर के साथ बाँट सकते हैं l इसके कारण ही नेटवर्किंग में विभिन्न प्रकार के कार्य संभव हो पाते हैं l नेटवर्क के कंप्यूटर सर्विस लेते भी हैं और सर्विस देते भी हैं l इस आधार पर नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर को दो भागों में बांटा जाता है
- १- सर्विस प्रोवाइडर
२- सर्विस रिकुएस्टर
सर्विस प्रोवाइडर -
सर्विस प्रोवाइडर वे कंप्यूटर होते है जो नेटवर्क में उपस्थित कंप्यूटर को अपनी विभिन्न सर्विसेस प्रदान करते हैं l इसे हम सर्वर भी कहते हैं l
सर्विस रिकुएस्टर- सर्विस रिकुएस्टर वे कंप्यूटर होते है l जो नेटवर्क में उपस्थित किसी और कंप्यूटर से विभिन्न प्रकार की सर्विसेस लेते हैं l इसे हम क्लाइंट भी कहते हैं l
नेटवर्क सर्विस के प्रकार ( types of network services) नेटवर्क में कंप्यूटर के विभिन्न रिसोर्सेस जैसे हार्ड-डिस्क ,सीडी-ड्राइव,प्रिंटर आदि को शेयर करने के लिए नेटवर्क सर्विस ही जिम्मेदार होतीं हैं
नेटवर्क में प्रयोग होने वाली प्रमुख सर्विसेस निम्न हैं-
१- फाइल सर्विस
२- प्रिंट सर्विस
३- मेसेज सर्विस
४- डाटाबेस सर्विस
५- एप्लीकेशन सर्विस
फाइल सर्विस- नेटवर्क में किसी फाइल को एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर पर ट्रान्सफर ,मूव या कॉपी करने के लिए फाइल सर्विस प्रयोग में आती है l फाइल सर्विस ही नेटवर्क में बैकप की सुविधा प्रदान करती है l फाइल सर्विस स्टोरेज डिवाइस को प्रभावी तरीके से प्रयोग करती है l
प्रिंट सर्विस- प्रिंट सर्विस का कार्य नेटवर्क में किसी एक कंप्यूटर पर लगे प्रिंटर को नेटवर्क के अन्य कंप्यूटर के लिए उपलब्ध करवाना होता है l अर्थात प्रिंट सर्विस के कारण ही एक प्रिंटर का प्रयोग नेटवर्क के सभी यूजर कर पाते हैं l प्रिंट सर्विस का कार्य नेटवर्क में प्रिंटर की संख्या को कम करना होता है l इस सर्विस के कारण ही नेटवर्क में प्रिंटर को कहीं भी इस्थापित किया जा सकता है l इसकी वजह से ही प्रिंट जोब्स एक पंक्ति में रहते हैं l इसके द्वारा ही प्रिंटर को नेटवर्क में एक्सेस कण्ट्रोल व मैनेज किया जा सकता है l
मेसेज सर्विस- जैसा की हम नाम से ही समझ सकते है l की मेसेज सर्विस का कार्य एक कंप्यूटर का मेसेज दूसरे कंप्यूटर तक पहुचना होता है l इसके साथ साथ हम डाटा ऑडियो विडियो टेक्स्ट आदि भी भेज सकते हैं l एक प्रकार से मेसेज सर्विस फाइल सर्विस की तरह ही कार्य करती है l लेकिन यह डाइरेक्ट कंप्यूटर के बीच कार्य न करके यूजर अप्लिकेसन के बीच कार्य करती है l इ-मेल व वोइस-मेल इसके ही उदहारण हैं l
डाटाबेस सर्विस- यह सर्विस नेटवर्क में सर्वर आधारित डाटाबेस की सुविधा प्रदान करती है l अर्थात नेटवर्क में जब कोई क्लाइंट रिक्वेस्ट करता है तो उसे आवश्यक जानकारी डाटाबेस सर्वर के द्वारा प्रदान कर दी जाती है l यह सर्विस डाटा सिक्योरिटी प्रदान करती है l और इसके कारण ही डाटाबेस की लोकेसन केन्द्रित हो पति है l
एप्लीकेशन सर्विस- नेटवर्क में वे सर्विस जो नेटवर्क क्लाइंट के लिए सोफ्टवेयर चलाती हैं l एप्लीकेशन सर्विस कहलाती हैं l यह सर्विस केवल डाटा ही नहीं शेयर करती बल्कि उनकी प्रोसस्सिंग पॉवर भी शेयर करने की अनुमति प्रदान करती है l इसका सबसे अच्छा उदाहरण लैन गेमिंग है l जिसमे एक गेम को कई यूजर एक साथ खेलते हैं l
सर्विस के आधार पर नेटवर्क के प्रकार (types of network according to service)
सर्विस के आधार पर नेटवर्क दो प्रकार के होते हैं -
१- पीयर टू पीयर
२- सर्वर सेंट्रिक
पीयर टू पीयर- पीयर टू पीयर नेटवर्क एक ऐसा नेटवर्क होता है जिसमे निश्चित रूप से न तो कोई कंप्यूटर सर्वर होता है और न ही कोई कंप्यूटर क्लाइंट लेकिन आवश्यकता के अनुसार कोई भी कंप्यूटर सर्वर भी बन सकता है और कोई भी कंप्यूटर क्लाइंट l इसे समझने के लिए हमें सर्वर क्लाइंट और पीयर को भी समझना पड़ेगा -
सर्वर(server)- सर्वर उस कंप्यूटर को कहा जाता है जो नेटवर्क में अन्य कंप्यूटर को कोई डाटा इन्फार्मेसन या सर्विस प्रदान करता है l
क्लाइंट (client)- क्लाइंट वह कंप्यूटर होता है जो सर्वर कंप्यूटर द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का प्रयोग करता है l
पीयर(peer)- पीयर वह कंप्यूटर होता है न तो सर्वर होता है और न क्लाइंट पर जरुरत के समय यह सर्वर की तरह भी कार्य कर सकता है और क्लाइंट की तरह भी l
सर्वर सेंट्रिक- सर्वर सेंट्रिक नेटवर्क वह नेटवर्क होता है जिसमे एक सर्वर होता है और बाकि कंप्यूटर उसके क्लाइंट होते हैं सर्वर द्वारा कई प्रकार के सेवाएँ क्लाइंट कंप्यूटर को दी जाती हैं जैसे फाइल सेवा,प्रिंट सेवा,इन्टरनेट सेवा आदि और सर्वर सिस्टम क्लाइंट सिस्टम को कण्ट्रोल और मैनेज भी करता है l
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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती| कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।