बुधवार, 2 जुलाई 2014

कम्प्यूटर कोर्स

आज के इस हाइटेक युग में यह आवश्यक हो गया है कि आप किसी भी क्षेत्र या किसी भी विषय में एक्सपर्ट क्यों न हो लेकिन आपको कम्प्यूटर का ज्ञान होना आवश्यक है। क्योंकि आप किसी भी सरकारी विभाग, कारपोरेट सेक्टर, बड़ी-बड़ी कंपनियां या और भी कंहीं नौकरी की तलाश के लिए आवेदन करते हैं तो इन सभी में कम्प्यूटर का ज्ञान रखने वाले प्रतियोगी को पहले महत्ता दी जाती है। और आने वाला समय भी कम्प्यूटर एवं आईटी का ही रहेगा। इस समय युवा जिस सेक्टर से सबसे ज्यादा रोजगार की आशा करते है,
वह सेक्टर है टेक्नोलाजी का यानी आईटी और कम्प्यूटर्स। माना यह जा रहा है कि यह सेक्टर इस समय देश में विकास के चरम चरम पर पहूंच रहा है इसलिए आज हर तरफ सूचना प्राद्योगिकी अर्थात आईटी की मांग है। सभी क्षेत्रों में म्प्यूटर की सहायता से तेजी और अधिक शुद्धता से काम हो रहा है। आज के युग में कम्प्यूटर के बढ़ते उपयोग ने लोगों की दिनचर्या को प्रभावित किया है जीवन से संबंधित कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं रहा है। आईटी क्रांति इस परिवर्तन का मुख्य के ंद्र है और इसिलए आज विश्व में सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान करने वाला क्षेत्र आईटी है। आईटी के तहत आकर्षक करिअर के कई क्षेत्र सामने आए हैं, जिनमें दक्ष लोगों मांग लगातार बढ़ रही है। लेकिन आज भी आईटी उद्योग कुशल लोगो की कमी से जूझ रहा है। मौजूदा दौर में आईटी के तहत आने वाले कम्प्यूटर हार्डवेयर, नेटवर्किंग, साफ्टवेयर, डाटाबेस मैनेजमेंट आदि ऎसे क्षेत्र हैं जिनकी मांग तेजी से बढ़ रही है । लैन, वैन, मैन तथा नेटवर्क सिक्युरिटी सिस्टम की विस्तार से जानकारी आवश्यक है। आईटी तथा कम्प्यूटर की सबसे बड़ी उपयोगिता है त्वरित सूचना। इस सूचना को किसी ने किसी डाटा वैंक अथवा डाटाबेस में सुरक्षित रखा जाता है। डाटा बेस में सूचनाओं को डालते तथा पुन: प्राप्त करने की तकनीक को डाटाबेस मैनेजमेंट कहते है। बैंक, विमान सेवाएं, टिकटिंग, एकाउंट्स इत्यादि क्षेत्र इसी श्रेणी में आते है। जैसे-जैसे हम अपने लगभग सभी कार्यों के लिए कम्प्यूटर पर निर्भर होते जा रहे है। कम्प्यूटर या आईटी एक ऎसा फिल्ड है जिसमें एनिमेशन, वीडियो एडिटिंग, काल सेंटर्स, वेब डिजाइनिंग आदि क्षे़त्र ऎसे है जिनका कोर्स करने के लिए कोई स्पेशल सब्जेक्ट की आवश्यकता नहीं होती है। अत: कम्प्यूटर के क्षेत्र में किसी भी विषय से संबंधित स्टूडेण्ट अपना करिअर बना सकता है। कम्प्यूटर फिल्ड में बहुत सारे विकल्प है जिनका चयन करके आप अपना भविष्य संवार सकते है:- कम्प्यूटर साईंस एनीमेशन काल सेंटर्स मेडिकल ट्रांसक्रिप्सन विडियों एडिटिंग वेब डिजाइनिंग सूचना प्राद्योगिकी IT साफ्टवेयर इंजिनियरिंग हार्डवेयर एवं नेटवर्कींग कम्प्यूटर एडेड डिजाईन नालेज प्रोसेसिंग आउटसोर्सिंग लिगल प्रोसेस आउटसोर्सिंग   कैसे करें कम्प्यूटर कोर्स का चयन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ पर्सनल कम्प्यूटर को इंटरनेट जैसी सुविधाओं से जोड़ा जा चुका है तथा नित नए आवश्यकतानुरूप सॉफ्टवेयरों के प्रवेश ने कम्प्यूटर के महत्व को बढ़ा दिया है, वहीं दूसरी ओर कम्प्यूटर के क्षेत्र में नए प्रवेश करने वालों के लिए कम्प्यूटर कोर्स का चयन करना एक समस्या है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कम्प्यूटर क्षेत्र में प्रवेश करने वालों के लिए यह एक प्राथमिकता भी है, क्योंकि रुचि एवं आवश्यकतानुरूप कोर्स का चयन न होने पर व्यक्ति के योग्यता पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। साथ ही व्यक्ति अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं कर सकेगा। कम्प्यूटर कोर्स का चयन - कम्प्यूटर कोर्स का चयन करते समय सर्वप्रथम निम्न दो मुख्य बिदुओं पर निर्णय लिया जाना अत्यंत आवश्यक है। हार्डवेअर कोर्स - हार्डवेयर कोर्स की श्रेणी में उन कोर्स को सम्मिलित किया जाता है जो कम्प्यूटर को सुधारने एवं बनाने से संबंधित हैं। यदि आपकी रुचि कम्प्यूटर ऑपरेटिंग क्षेत्र में कार्य करने की न होकर टेक्निकल फील्ड में कार्य करने की है तो इस स्थिति में निःसंदेह कम्प्यूटर हार्डवेयर कोर्स की उपयोगिता की चर्चा की जाए तो यह एक निर्विवाद सत्य है कि कम्प्यूटर की माँग एवं सामान्य वर्ग में कम्प्यूटर की उपलब्धता के साथ ही कम्प्यूटर वैज्ञानिकों की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है। अतः इस क्षेत्र में इच्छुक व्यक्तियों के लिए रोजगार की पर्याप्त संभावना है। सॉफ्टवेयर कोर्स - (क) डॉस बेस, (ख)विंडोज बेस- सॉफ्टवेयर कोर्स का उपयोग करते समय यह आवश्यक हो जाता है कि कोर्स का चयन इस प्रकार का हो जो कि वर्तमान समय की माँग के अनुरुप हो। वर्तमान में सभी जगह विंडोज बेस एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर पर ही आवश्यक कार्य किया जा सकता है जो कि वर्तमान आवश्यकता के अनुरुप हो। अतः कोर्स चयन में विंडोज बेस कोर्स को पर्याप्त महत्व दिया जाना चाहिए। पूर्व में सभी कार्य डॉस बेस एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर पर संपादित किए जा रहे थे जो कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में खरे नही उतरते हैं। डॉस बेस एवं विडोंज बेस प्लेटफॉर्म में वास्तविक अंतर यह है कि डॉस बेस कोर्स केरेक्टर मोड में कार्य करते हैं अर्थात डिजाइनिंग एवं ग्रॉफिकल कार्य के लिए डॉस बेस में पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं है। साथ ही फोंट परिवर्तन एवं साइज परिवर्तन की भी पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जबकि विंडोज ग्रॉफिक मोड पर कार्य करता है। अर्थात्‌ इसमें वे सभी व्यवस्थाएँ पर्याप्त सुविधाओं के साथ उपलब्ध हैं जो कि डॉस बेस पर उपलब्ध नहीं हैं। अवधि एवं रुचि के अनुसार - (क) प्रिटिंग फील्ड, (ख) अकाउंटिंग फील्ड, (ग) मल्टीमीडिया, (ङ) ऑपरेटिंग फील्ड, (च) ऑपरेटिंग एवं प्रोग्रामिंग फील्ड। (क) प्रिटिंग फील्ड - प्रिटिंग फील्ड के अंर्तगत डी.टी.पी. से संबंधित कोर्स आते हैं जो कि वर्तमान में प्रिटिंग क्षेत्र की सभी माँग को पूरा करते हैं। डी.टी.पी. कोर्स पूर्णतः प्रिटिंग क्षेत्र के लिए समर्पित हैं। स्क्रीन प्रिटिंग से लेकर ऑफसेट प्रिंटिग तक के सभी कार्य इसी फील्ड के तहत संपन्न किए जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति की रुचि डिजाइनिंग एवं प्रिंटिग क्षेत्र में है तो उसके द्वारा इस कोर्स पर महत्व दिया जाना चाहिए। यह फील्ड पूर्णतः आपकी कल्पना शक्ति पर आधारित है। व्यक्ति को सोच के आधार पर नई डिजाइन बनाने एवं उसमें नए-नए परिवर्तन करने की पूर्ण सुविधाएँ इस क्षेत्र में उपलब्ध रहती हैं। यह एक अल्प अवधि का कोर्स है तथा इसके लिए विशेष कम्प्यूटर ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है। (ख) अकाउंटिंग फील्ड - यह फील्ड व्यापार एवं वाणिज्य के दृष्टिकोण से पर्याप्त महत्व रखता है। वर्तमान में व्यापार की सभी बहियों तथा खातों को कम्प्यूटर पर बहुत ही आसानी से तैयार किया जा सकता है तथा उसका उपयोग किसी भी समय किया जा सकता है। स्टॉक आदि का हिसाब रखने के लिए कम्प्यूटर पर पर्याप्त सुविधाएँ उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र में रोजगार की प्रबल संभावना है तथा रोजगार के अवसर बनाए जा सकते हैं। यह भी एक अल्प अवधि का कोर्स है जो कि व्यापारिक माँग को पूरा करता है। (ग) मल्टीमीडिया - मल्टीमीडिया के फिल्मी उद्योग, विज्ञापनों में दिन-प्रतिदिन बढ़ते प्रयोग ने इस क्षेत्र को बहुत ही महत्वपूर्ण बना दिया है। मल्टीमीडिया द्वारा फिल्मों, विज्ञापनों में तकनीकी प्रभावों को इस्तेमाल कर कल्पना शक्ति को साकार किया जा रहा है। कम्प्यूटर के मल्टीमीडिया अनुप्रयोगों द्वारा ध्वनि, चित्रों, वीडियो, लिखित सामग्री, ग्रॉफिक्स और छवियों का मिला-जुला इस्तेमाल कर तकनीकी प्रभाव निर्मित किए जाकर व्यक्ति की सोच को सार्थक किया जा रहा है। यह भी एक अल्प अवधि का कोर्स है जो व्यक्ति को रोजगार के सुलभ अवसर प्रदान कर सकता है। यह कोर्स उन व्यक्तियों के लिए बहुत लाभदायक है जो विज्ञापन या फिल्म उद्योग के लिए कार्य कर रहे हैं तथा जो इस क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं। (ङ) ऑपरेटिंग फील्ड - ऑपरेटिंग फील्ड से आशय कम्प्यूटर पर किए जाने वाले व्यावसायिक सामान्य कार्यों से है। इस फील्ड के अंतर्गत वे सारे कार्य आ जाते हैं, जो एक ऑफिस, फैक्टरी संचालन से संबंधित हैं- जैसे लेटर ड्रॉफ्टिंग, व्यापारिक डाटा, मैनेजमेंट, बिलिंग कार्य आदि। इस क्षेत्र के साथ कम्प्यूटर एकाउंटिंग कोर्स किया जाकर समस्त व्यापारिक कार्यों का निष्पादन किया जा सकता है। यह एक सामान्य अवधि का कोर्स है जो कि सामान्यतः छह अथवा आठ माह में पूर्ण किया जा सकता है। (च) ऑपरेटिंग एवं प्रोग्रामिंग फील्ड - इस फील्ड के अंतर्गत ऑपरेटिंग पाठ्यक्रम फील्ड के सभी कोर्स सम्मिलित रहते हैं। यह एक दीर्घकालीन पाठ्यक्रम है। इसमें प्रोग्रामिंग का समावेश रहता है। कम्प्यूटर पर अपनी आवश्यकताओं के अनुसार प्रोग्राम तैयार कर वांछित कार्य करवाए जा सकते हैं। मार्केट की आवश्यकता के अनुरूप नवीनतम सॉफ्टवेयर तैयार कर इस क्षेत्र का उपयोग किया जा सकता है। इस क्षेत्र द्वारा आप स्वयं को एक प्रोग्रामर के रूप में स्थापित कर सकते हैं। उपरोक्त फील्ड की जानकारी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि व्यक्ति को कम्प्यूटर फील्ड में प्रवेश के समय अपनी रुचि एवं आवश्यकतानुसार कोर्स के चयन को प्राथमिकता देना चाहिए। साथ ही इस बात को ध्यान में रखें कि वर्तमान में प्रचलित एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर पर ही कार्य करें। मुख्यतः विंडोज बेस प्लेटफॉर्म को ही महत्व दिया जाना चाहिए। कोर्स का चयन मुख्य आधार पर आपके कार्यक्षेत्र पर निर्भर करता है कि आप कम्प्यूटर का उपयोग अपने लिए किस रूप में करना चाहते हैं। किसी भी कोर्स में प्रवेश लेने से पूर्व यह निश्चित कर लें कि क्या आपके द्वारा चयनित कोर्स कम्प्यूटर फील्ड की आपकी भावी आकांक्षाओं को पूरा कर सकेगा। उसके बाद यदि आपने अपनी योग्यता एवं आवश्यकता का आकलन कर कम्प्यूटर पाठ्यक्रम का चयन किया तो इस क्षेत्र में बेहतर तरीके से कॅरियर निर्माण किया जा सकता है। संभावनाएं कम्प्यूटर साइंस में जरा गौर कीजिए, जैसे ही पढाई पूरी करके आप कॉलेज से निकलें, कोई कंपनी आपको छ: अंकों की सैलरी वाली जॉब ऑफर कर दे। ऑफिस में काम करने का माहौल और वातावरण भी बेजोड हो साथ ही आपको देश-विदेश के मशहूर शहरों में काम करने का मौका मिले। अगर आपकी भी कुछ ऐसी ही चाहत है तो कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में करियर आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यही नहीं, कम्प्यूटर साइंस को भारत में तेजी से बढने वाले क्षेत्रों में देखा जा रहा है। एमिटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर जेनरल, बलविंदर शुक्ला कहते हैं कि तकनीक में लगातार हो रहे बदलाव, जॉब ऑपरच्यूनिटी और अट्रेक्टिव सैलरी की वजह से कम्प्यूटर साइंस की पॉपुलैरिटी तेजी से बढ रही है। इसकी तुलना अगर दूसरे विषयों के साथ करें तो यह विषय और कोर्स काफी लचीला दिखता है, क्योंकि खुद को निखारने और भविष्य में बेहतर प्रदर्शन के लिए स्टूडेंट्स, इस सब्जेक्ट की प्रैक्टिस घर में भी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें किसी तरह की खास लेबोरेट्री या फिर साधनों की जरूरत भी नहीं होती। वक्त के साथ बदलाव पिछले कुछ सालों में कई कम्प्यूटर साइंस के करिकुलम में कई टॉपिक्स में बदलाव किए गए हैं। इससे कोर्स को मौजूदा वक्त की जरूरतों के मुताबिक आकार देने में सहायता मिली है। दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी जिसे पहले दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता था, उसके कम्प्यूटर साइंस डिपार्टमेंट की एसोसिएट प्रोफेसर रजनी जिन्दल कहती हैं कि डिस्ट्रीब्यूटेड कम्प्यूटिंग, क्लाउड कम्प्यूटिंग, वेब माइनिंग के अलावा ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड सॉफ्टवेयर इंजीनिरिंग जैसी चीजों को इसके साथ जोडा गया है। नई चीजों के जुडने से यह कोर्स अब इंडस्ट्री की जरूरतों के और अधिक नजदीक आ गया है। प्लेसमेंट  कम्प्यूटर साइंस के कोर्स की एक खासियत यह भी है कि इसमें स्टूडेंट्स को शत-प्रतिशत प्लेसमेंट सुविधा मिल जाती है। जहां तक प्लेसमेंट का सवाल है तो ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद स्टूडेंट्स सर्विस या फिर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ओरिएंटेड फील्ड में अपने लिए संभावनाएं तलाश सकते हैं। टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल जैसी कंपनियों में ऐसे प्रोफेशनल्स की भारी डिमांड है। अगर आप सॉफ्टवेयर डेवलपर, सॉफ्टेवयर टेस्टर, वेब डेवलपर या फिर डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर करियर की शुरुआत करते हैं तो आरंभिक दौर में 4 से 8 लाख रुपये सालाना आय हासिल कर सकते हैं। दूसरी तरह रिसर्च और डेवलपमेंट का काम करने वाली कंपनियां जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, याहू, ओरैकल और एमाजोन के साथ साइंटिस्ट या फिर रिसर्चर के तौर पर जुडा जाता है। यहां आरंभिक सैलरी की शुरुआत 7.5 लाख रुपये से 11 लाख रुपये वार्षिक तक होती है। वैसे इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इस विषय में एम टेक और पीचडी की डिग्री हासिल करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या काफी कम है। इसके पीछे दरअसल एक गलतफहमी है और वह यह कि ज्यादातर स्टूडेंट्स यह सोचते हैं कि बडी कंपनियों को पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री आकर्षित नहीं करती और उसके बाद उनके पास महज एकेडेमिक लाइन में जाने का ही विकल्प बचता है। हालांकि अब कई कंपनियां भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट सुविधाओं के सेट-अप लगा रही हैं। हैदराबाद में माइक्रोसॉफ्ट इंडिया जबकि बैंगलुरु में याहू लैब्स, जीई ग्लोबल रिसर्च और गूगल रिसर्च डेवलपमेंट सेंटर बना रहे हैं। एनआईआईटी यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट राजीव शौर्य कहते हैं कि इससे एमटेक करने वाले स्टूडेंट्स को काफी फायदा मिलेगा और उनकी डिमांड भी बढेगी। संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी www.iitd.ac.in बिडला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस www.bits-pilani.ac.in दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी www.dce.edu नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी www.nitdgp.ac.in वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तमिलनाडु www.vit.ac.in  अम्बेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी www.ait.delhigovt.nic.in  बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी www.itbhu.ac.in अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी www.amu.ac.in u    कम्प्यूटर हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग रोजगार के अवसरों का बूम कम्प्यूटर के विविध हिस्सों जैसे चिप, सर्किट बोडर्स, कीबोर्ड, प्रिंटर, मानीटर,हार्ड डिस्क आदि को हार्डवेयर कहा जाता है और इनके विशेषज्ञों को कम्प्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर कहते हैं। जिसमें कम्प्यूटर को असेंबल करना, उनकी मरम्मत करना कम्प्यूटर नेटवर्क तैयार करना और फिर उसकी देखभाल करने समेत कम्प्यूटर में साफ्टवेयर और आपरेटिंग सिस्टम इंस्टाल करना भी कम्प्यूटर हार्डवयर इंजीनियर के कार्यक्षेत्र में आता है। अर्थात कम्प्यूटर को पूरी तरह से सुरक्षित रखने का कार्य इस प्रोफेशन में करना होता है। योग्यता वैसे कम्प्यूटर हार्डवेयर के प्रत्येक कोर्स के लिए योग्यता अलग-अलग होती है। इसमें शार्ट टर्म कोर्स के लिए न्यूतम योग्यता बारहवी है। वहीं लांग टर्म कोर्स के लिए किसी भी संकाय में स्नातक होना अनिवार्य है। कम्प्यूटर हार्डवेयर में एमटेक करने के लिए आपको बीटेक या एमसीए होनी चाहिए। संबंधित कोर्स कम्प्यूटर हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग में कई फिल्ड है जिनमें आप अपने स्वयं की क्षमता के अनुसार एक्सपर्ट हो सकते हैं। कम्प्यूटर हार्डवेयर की ट्रेनिंग वैसे तो दो प्रकार की होती है - (1)कार्ड लेवल: इसमें कम्प्यूटर के खराब पार्ट, कार्ड, पुर्जे जैसे सीडीरोम, हार्ड डिस्क, मदरबोर्ड, की बोर्ड, माउस आदि खराब हो जाए तो उसकी जगह नया पार्ट लगाने की ट्रेनिंग दी जाती है। (2) चिप लेवल: इसमें खराब पाटर्स को बदलने के साथ उन्हें रिपेयर करने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है जिससे आप कम्प्यूटर पर चिप लेवल पर अच्छी तरह से महारत हासिल कर लेते है। इसके अलावा कुछ स्पेशल कोर्स है जिसको आप करके अपना करियर बना सकते है:- कम्प्यूटर सर्विस इंजीनियर:- यह कम्प्यूटर हार्डवेयर फिल्ड का सबसे पहले सीखा जाने वाला कार्य है। इसमें कम्प्यूटर असेंबल करने और उनके सामान्य रखरखाव की ट्रेनिंग दी जाती है। इसको सीखने में लगभग 6 माह का समय लग जाता है। इस कोर्स के बाद कम्प्यूटर रिटेल शाप पर सर्विस इंजीनियर का जाब मिल जाता है। और इसी में अच्छा अनुभव हो जाने पर बड़ी कम्पनियों में जाब मिल जाता है। नेटवर्क इंजीनियर:- इसमें एक साथ जुड़े कई कम्प्यूटर की आपस में कनेक्टीविटी करने और उनका नेटवर्क बनाये रखने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें विशेषज्ञता हासील करने और के लिए बहुत सारे कोर्स कराये जाते हैं परन्तु इनमें से एमसीएसई और सीसीएनए का कार्स करना ज्यादा बेहतर है। ये डिप्लोमा कोर्स है जिनकों 12वीं के बाद किया जा सकता है। नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर:- इस लेवल पर पहूंचने के लिए कुछ समय तक नेटवर्क इंजीनियर का कार्य करने के बाद इसमें एक्सपर्ट हो जाने के बाद आप आसानी से नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर का कार्य कर सकते हैं। इसके लिए माइक्रोसाफ्ट का एमसीएसए सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा जो कि एक टाप लेवल पोस्ट है। इसमें सभी कम्प्यूटर का नेटवर्क सिस्टम को डिजाईन करना और व्यवहारकि प्लान तैयार करना होता है। डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर:- इस लेवल के कार्य को करने के लिए कम्प्यूटर हार्डवेयर, नेटवर्किंग एवं डाटाबेस प्रोग्रामिंग का अच्छा अनुभव होना चाहिए क्योंकि डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर को कम्प्यूटर में संग्रहित अधिक मात्रा में महत्वपूर्ण जानकारियों को सही तरीके से संरक्षित करके रखना और नेटवर्क में जुड़े कम्प्यूटरों से डेटा एकत्र करके रखना होता है और यदि आवशयकता पड़ी तो उन्हें पुन: उपलब्ध करना होता है। रोज़गार के अवसर कम्प्यूटर हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग के क्षेत्र में भविष्य में जाब्स की अपार संभावनाएं है क्योंकि इनकी आवशयकता हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग, सिस्टम डिजाइन, साफ्टवेयर, टेलीकाम आदि कम्पनियों के अलावा काल सेंटर, बीपीओ, केपीओ, सर्विस सेंटर,पर होती है। और चाहे तो आप भी खुद की हार्डवेयर रिपेयर की शाप्स चला सकते हो। इस फिल्ड में आपका करियर आपकी योग्यता एवं अनुभव पर निर्भर करती है। पारिश्रमिक इस क्षेत्र में आपकी कमाई आपकी स्किल और क्वालिफिकेशन पर निर्भर करता है। फिर भी डिप्लोमाधारी को शुरूआत में 4,000 से 6,000 रूपये प्रतिमाह वेतन मिलता है, परन्तु इस क्षेत्र में अच्छी विशेषज्ञता हासिल करने पर आप 15,000 से 30,000 रूपये प्रतिमाह तक कमा सकते हैं। ग्राफिक्स डिजाइन में करियर निखारिये ग्राफिक डिजाइनिंग एक ऎसा क्षेत्र है, जिसके बलबूते ही उसकी सफलता का ग्राफ लिखा जाता है। आने वाले समय में ग्राफिक्स डिजाइनिंग भारत का सबसे ज्यादा विकसित क्षेत्र बन जाएगा तथा एडवर्टाइजिंग, प्रकाशन, कम्प्यूटर डिजाइन के क्षेत्र में डिजाइनरों की मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। लुभावने पोस्टर्स, पत्र पत्रिकाओं, बैनर्स, प्रोडक्ट, फिल्म एवं टीवी प्रोग्राम के टाइटिल को देखकर हर कोई उस ओर खिंचा चला आता है। दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली वस्तुओं की पैकिंग से लेकर समाचार पत्र-पत्रिकाओं, टीवी चैनल्स, फिल्म इण्डस्ट्रीज एवं वेबसाईट पर ग्राफिक्स डिजाइनरों की भारी मांग है। योग्यता ग्राफिक्स डिजाइनिंग के लिए कम से कम 12वीं पास होना अनिवार्य है। इसके साथ यदि आप कल्पनाशील है तो और भी अच्छा है। संबंधित कोर्स ग्राफिक्स डिजाइनिंग में फाउंडेशन कोर्स से लेकर चार वर्ष तक के डिगरी कोर्स उपलब्ध है। ग्रेजूएट एवं पोस्ट ग्रेजूएट के उपरांत कई डिप्लोमा एवं पीजी डिप्लोमा कोर्स भी कराए जाते हैं, जो एक वर्ष से 2 वर्ष तक की अवधि का होता है। इसमें कई तरह के साफ्टवेयरों जैसे कोरल ड्रा, फोटोशाप, पेजमेकर, क्वार्क, एक्सप्रेस, 2-डी एवं 3-डी एनिमेशन, 3-डी स्टूडियो मैक्स आदि की ट्रेनिंग दी जाती है। रोज़गार के अवसर इस क्षेत्र में रोजगार की प्रबल संभावना है। क्योंकि भारत में वर्तमान में लाखों की संख्या में ग्राफिक्स डिजाइनरों की मांग है। इस क्षेत्र में पत्र-पत्रिकाओं, प्रोडक्शन हाउस, विज्ञापन एजेंसियों, फ्रीलांसिंग, फिल्म इंडस्ट्रीज, टीवी चैनल्स आदि जगहों पर आसानी से रोजगार मिल जाता है। पारिश्रमिक इस क्षेत्र में आपकी कमाई आपकी क्रएटिविटी पर निर्भर करता है। क्योंकि इस क्षेत्र में जैसे जैसे आपके कार्य में निखार आएगा वैसे-वैसे पैसों की भरमार होगी। शुरूआत में 8,000-10,000/- रूपये ट्रेनी के रूप में, जूनियर ग्राफिक्स डिजाइनर को 12,000-15,000/- रूपये उसके उपरांत कम से कम दो-तीन साल का अनुभव होने पर 15,000-20,000/- रूपये मासिक मिलते हैं। कुछ समय बाद प्रमोशन होने पर आर्ट डायरेक्टर को 25,000-40,000/- रूपये और इससे भी आगे की बात करे तो हेड डिजाइनर को 50,000-60,000/- रूपये मासिक आसानी से मिल जाते हैं। एनिमेशन और ग्राफिक्स में मनोरंजन भी पैसा भी किड्स चैनलों में एनिमेशन प्रोग्रामों की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इस क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं बढ़ी है। कल्पनाओं को मूर्त रूप देना ही एनिमेशन है। एनिमेशन की कार्टून ड्रा करने की तकनकि के अलावा गेमिंग, एजूकेशन, मोबाईल, खिलौने, फिल्म, विज्ञापन, ब्राडकास्टिंग, वेब इंटरटेनमेंट, स्पेशल इफेक्ट, आर्किटेक्चर में भी इसकी पैठ हो गई है। एनिमेशन को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है:- टू डी और थ्री डी। इन दोनों में काम करने का तरीका लगभग एक जैसा ही होता है बस केवल इतना अंतर होता है कि थ्री डी का फाइनल प्रोडक्ट ज्यादा साफ और रियल लगता है। व्यक्तिगत कौशल एनिमेशन के क्षेत्र में कल्पनाशील व्यक्ति की जरूरत होती है। इसके साथ ही वह रचनात्मक प्रवृत्ति वाला होना चाहिए। इसके अलावा कम्प्यूटर साफ्टवेयर की जानकारी होनी चाहिए जैसे टू डी, थ्री डी, ग्राफकिस डिजाइनिंग आदि अन्य साफ्टवेयर का नालेज भी होना चाहिए। योग्यता एनिमेशन में करियर बनाने के लिए कम से कम से 12वीं पास होना आवशयक है। इसके बाद थ्रीडी स्टूडियो, मैक्स, साफ्ट इमेज, आफ्टर इफेक्ट, एडोब प्रीमियर का भी नालेज हो। इसके बाद ग्राफिक्स डिजाइनिंग, स्टोरी बोर्ड, सिनमैटोग्राफी का भी नालेज होना चाहिए। और अगर आपकी क्रिएटिविटी के साथ साथ ड्राइंग और स्केचिंग में अच्छी पकड़ है तो और भी अच्छा है। रोज़गार के अवसर एनिमेशन व ग्राफिक्स इंडस्ट्री पूरी दूनिया में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। एनिमेशन एक्सपर्ट लोगों की देश और विदेश में अवसरों की कमी नहीं है। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एनिमेशन के बढ़ते प्रचलन के कारण युवाओं के लिए एनिमेशन इंडस्ट्री में करियर के अवसर बढ़ रहे हैं। पारिश्रमिक एनिमेशन के क्षेत्र में शुरूआत में जूनियर एनिमेटर या ट्रेनी को 10,000 से 15,000 रूपये मासकि वेतन मिलता है एवं तीन-चार साल बाद अनुभव हो जाने पर 20,000 से 30,000 रूपये और इस फिल्ड में अच्छा अनुभव हो जाने पर या आपका कार्य के आधार पर आप 50,000 से 60,000 रूपये प्रतिमाह या इससे अधिक भी कमा सकते हैं।

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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती| कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।