शुक्रवार, 24 जनवरी 2014

खोये हैं हम ना जाने किस जहान में

खोये हैं हम ना जाने किस जहान में 
आये कोई आवाज़ दे बुला ले उस जहान से



यूँ तो वापसी की डगर कोई नहीं 

बस उम्मीद के तारे पे रुकी है ज़िन्दगी
कतरनों को सीने की जद्दोजहद में 
आवाज़ के घुँघरुओं में बसी है ज़िन्दगी

चिलमनों के उस तरफ जो शोर था 
दिल में मेरे भी तो कुछ और था 
करवट बदलने से पहले कोई दे आवाज़ पुकार ले 
बस इसी आरज़ू की शाख से लिपटी खड़ी है ज़िन्दगी 

यूं तो जीने के बहाने और भी थे 
मेरे गम के सहारे और भी थे 
बस खुद को मुबारक देने की चाहत में 
उस पार की आवाज़ को तड़प रही है ज़िन्दगी 


खोये हैं हम ना जाने किस जहान में
आये कोई आवाज़ दे बुला ले उस जहान से

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लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती| कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।